न्यास (TRUST) .

न्यास “श्री लक्ष्मी नारायण महाराज किल्ला मंदिर” दुर्ग की स्थापना सर्वराकार दाऊ परमानंद अग्रवाल द्वारा एक लोक न्यास (PUBLIC TRUST) के रूप में “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” के उद्देश्य से पंजीकृत कराया गया था। न्यास पत्र दाऊ परमानंद अग्रवाल के द्वारा दिनांक १८.११.१९८१ को तहरीर कर दिया गया था जिसके प्रारूप कर्ता श्री सीताराम दुबे, अधिवक्ता दुर्ग थे।

श्री लक्ष्मी नारायण महाराज किल्ला मंदिर दुर्ग का राजस्व पंजीयन प्रकरण क्रमांक ०१/ब -११३ / १९८१-८२ है।

प्रयास.

आय के समान शिक्षा का क्षेत्र भी असमान वितरण का शिकार है।

ऐसी विषमताओं से निपटने के लिए न्यास के सभी सदस्यों ने अपने परिकल्पनाओं को साकार रूप देने के लिए विद्यापीठ महाविद्यालय की स्थापना की, जो उत्कृष्ट शिक्षकों के निर्माण में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करेगी।

न्यास श्री लक्ष्मी नारायण महाराज किल्ला मंदिर दुर्ग के उद्देश्य :

  • सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों के हिट में बिना भेद भाव धार्मिक सामाजिक प्रेरणाप्रद कार्यों का आयोजन , उसका प्रसार तथा प्रचार एवं प्रोत्साहन की लक्ष्मी नारायण महाराज किल्ला मंदिर दुर्ग के माध्यम से करना तथा कराना ।
  • सनातन हिन्दू धार्मिक भावनाओं से अभिप्रेरित धार्मिक भावनाओं का संवर्धन करना तथा कराना ।
  • सनातन धर्म अभिमत धार्मिक कार्य सार्वजनिक हित में करना तथा शिक्षण संस्थानों का निर्माण , संचालन उसमें योगदान सहयोग प्रदान करना, योग्य निर्धन सत्पात्र विद्यार्थियों को शिक्षण प्राप्त कराना , छात्रावास की व्यवस्था करना, सार्वजनिक हित की धर्मोपयोगी कार्य यथा प्याऊ , विश्राम स्थल, पूजा अर्चना, ध्यान स्थल का निर्माण तथा प्रबंध , भजन पूजन यज्ञ , प्रवचन आदि के लिए कार्यरत होना ।
  • सनातन हिन्दू धर्म के प्रसार तथा प्रचार तथा इस हेतु अनुकूल उपयुक्त व्यवस्था वातावरण बनाना और योग की शिक्षा चर्या का साधन उपलब्ध कराना ।
  • न्यास के उद्देश्यों की प्राप्ति तथा उसके विकास तथा विस्तार की प्राप्ति ।
  • सामाजिक धर्म सम्मत कार्यों का आयोजन सहयोग करना तथा साधन तथा अवसर प्रदान करना तथा इस हेतु उपयोगी वस्तुओं का संग्रहण एवं उसका उचित उपयोग।
  • धार्मिक प्रवृत्तियों में जन सहयोग की भावना जागृत करना।
  • न्यास की संपत्ति का प्रबंध वो व्यवस्था नियमित आय के श्रोतों का निर्माण तथा उसमें उत्तरोत्तर उन्नति एवं उसकी छवि को उज्ज्वल बनाए रखना ।
  • अन्य धर्म संगत न्यासियों के व्यक्तिगत तथा पारिवारिक हित में न हो कर सार्वजनिक हित में हो।
  • न्यास के उद्देश्य की पूर्ति हेतु अन्य सभी उपाय वो कार्य करना तथा सहयोग (आर्थिक , शारीरिक , बौद्धिक ) प्राप्त करना।